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24 Nov 2021 · 2 min read

वियजोत्सव

दुनिया की कोई भी उत्सव विजयोत्सव से आकर्षक, प्रेरणादायक और अच्छी नहीं हो सकती हैं।ऐसे वियजोत्सव की कहानियाँ हमारे दिल व दिमाग को प्रभावित करती हैं तथा कुछ अच्छा करने का एक नया जुनून पैदा करती हैं।
यह वियजोत्सव और भी खास हो जाता हैं जब हमें विजय अथक संघर्ष और पूरे मेहनत के पश्चात मिली हो और इससे हमारे आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती हैं, तो आइए जानते हैं नीता के विजय की अनसुनी कहानी।

विजयोत्सव

नीता एक साधारण सी लड़की थी।बचपन से ही उसकी एक ही ख्वाहिश थीं :-लोक सेवा अधिकारी बनने का ।वह बचपन से ही इसके प्रति आकर्षित थीं।वह बचपन में अपना सारा कार्य करने के बाद अपना कुछ समय लोक सेवा अधिकारियों के भाषण, उनके चयन के तरीकें तथा उनसे जुड़े तथ्यों को जानने में दिया करती थीं और यह कार्य उसे दिल से प्रिय था।
यह कार्य उसके दैनिक जीवन का हिस्सा था।
इसी तरह उसका बचपन बीता।
आज नीता 23 वर्ष की हो चुकी थीं।आज का दिन उसके लिए बहुत खास होने वाला था।उसने लोक सेवा अधिकारी बनने के लिए जो इम्तिहान दिया था,आज उसके परिणाम का दिन था।वह बेसब्री से अपने परिणाम का इंतजार कर रही थीं।आज का ये परिणाम उसके लिए इस वजह से भी महत्वपूर्ण था क्युकी वो पहली बार इस इम्तहान में शामिल हुई थीं।अचानक उसके कानों में आवाज सुनाई पड़ी की अभी अभी यूपीएससी का परिणाम घोषित कर दिया गया है ।यह सुनकर मानो उसके पड़ निकलने लगे तथा वह अत्यंत खुश हुई।

उसने अपना जरूरी रिक्तियों को भरकर जब अपना परिणाम जाँच की तो वो सन्न रह गईं।उसे इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया था।परिणाम को चार-पाँच बार ठीक से चेक करने के बाद वह बहुत दुखी हुई और उसे बहुत आश्चर्य भी हो रहा था क्योंकि उसका सारे इम्तिहान बहुत अच्छे हुए थे और उसे इस इम्तिहान में उत्तीर्ण होने का पूरा भरोसा था ,इसलिए उसने हार नहीं माना।

उसने काफी सोच समझकर उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन फिर से कराने का निर्णय लिया।इसमें उसे पूरा विश्वास था कि उसे न्याय जरूर मिलेगा।और हुआ भी कुछ यूं ही।
अंतिम परिणाम के बाद उसे पता चला कि वह उत्तीर्ण हो गईं हैं और उसे बहुत सम्मानित पद मिला हैं।और उसने वो पद ग्रहण कर अपने सारे कर्तव्यों का काफी अच्छे से निर्वाह किया।

दोस्तों ये बहुत छोटी सी कहानी हैं ,पर इसके संदेश बड़े हैं।जिस तरह नीता ने अनुत्तीर्ण होने की चुनौती को खुद की गलती न मानकर मुल्यांकनकर्ता की भूल मानी और अपना आत्मविश्वास नहीं तोड़ा और अपनी मंजिल को प्राप्त करके ही दम लिया उसी प्रकार अगर हमारे जिंदगी में कुछ गलत हो तो अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए,ये जरूरी नहीं कि हम गलत हैं गलती सामने वाले से भी हो सकती हैं।

✍️✍️✍️खुशबू खातून

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