Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2021 · 3 min read

रहस्यमयी घटना

12 जनवरी 2020 का दिन था ,शहर की सभी दुकानें बंद थी ,सवारियों का आना-जाना यहाँ तक की कोई पत्ता भी सड़क पर नहीं हिल रहा था I चारो ओर एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था I
उसी दिन जॉन ने सोचा सैर –सपाटे के लिए बाहर निकला जाए I मन में विचार किया दोस्त से भी मिल आऊंगा ,जॉन ने सूट बूट पहना और घर बंदकर निकल पड़ा I वह शहर की खबरों से अनजान था I
जब वह सड़क पर चला जा रहा था I उसने एक लड़की को रोते हुए देखा I पास गया रोने का कारण पूछा –“सुनो तुम कौन हो ?और यहाँ क्यों रो रही हो ?” कोई जवाब नहीं आया I जॉन लगातार पूछ रहा था पर वो रोये जा रही थी I
जॉन ने चारो ओर नजरे घुमाई सड़क पर कोई नहीं था I उसे आश्चर्य हुआ पूरी सड़क वीरान नजर आ रही थी I
जॉन ने अपने आप को संभाला और फिर उस लड़की से सवाल किया –“देखो तुम्हें कोई परेशानी है तो मुझे बताओ “I शायद मैं तुम्हारे लिए कुछ कर पाऊं I
लड़की ने एक खत जॉन की ओर बढ़ा दिया और फिर रोने लगी I जॉन ने खत लिया पर उसे पढ़ा नहीं I
उसे बस उस लड़की की चिंता हो रही थी कि वह क्यों रो रही है ?
उसने लड़की को अपने साथ चलने कहा I लड़की जोर से चीख पड़ी और भागने लगी I जॉन को लगा इसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है I इसलिए ऐसा कर रही है I
जॉन ने उसकी मदद करने की ठान ली I वह भी उसके पीछे भागने लगा I
तभी देखता है सड़क पर खून से सने पैरों के निशान जो उसी लड़की के थे I जॉन घबरा जाता है I
जॉन को लगा उसके पैरों में चोट लगी है जिसके कारण जहाँ वह घंटों चल रही है I उसके पैरों से खून आने लगा है I
लड़की भागे जा रही थी छुप जाती थी ,लेकिन वह आगे बढ़ना बंद नहीं कर सकती I वह उसे फिर से खोजने नहीं दे सकती थी I
जॉन अब तक बहुत थक चुका था I और हाफ़ने लगा तभी वो खत उसकी जेब से सड़क पर गिर गया I
जॉन को ध्यान आया ये खत तो उसी लड़की का है I लड़की उसकी आँखों से ओझल हो चुकी थी I
जॉन ने झट से वो खत खोला I खत पढ़ कर उसके पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई I
खत में लिखा था ………………………………………………………………………………………………………

30 अप्रैल 1620
मेरी प्यारी स्वीटी
जब तक तुम तक ये खत पहुँचेगा I मैं इस दुनिया से जा चुकी होंगी I मैं तुम्हें सचेत करने के लिए ये खत लिख रही हूँ I इस शहर का सबसे खूंखार आदमी कल घर आया था I उसने मुझसे कहा तुम्हारी बेटी से मुझे शादी करनी है मैंने उसे मना कर दिया पर वो नहीं माना I और मुझे धमकी देकर गया की कल बारात लेकर आएगा I इसलिए कल मैंने तुम्हें अपने दोस्त के घर ही रुकने कहा था I ताकि मैं यहाँ सब ठीक कर तुम्हें सबकी नजर से बचा सकूं I अगले दिन वो फिर आया और उसने तुम्हें न पाकर मेरे गले पर चाक़ू रख दिया I मैंने उसे कुछ नहीं बताया और फिर आगे नहीं लिख पा रही हूँ …………………………………
तुम यहाँ से कहीं दूर चली जाना यहाँ मत आना I
तुम्हारी माँ

ख़त पूरा खून से सना हुआ था I और यह ख़त 400 साल पुराना था I और वो लड़की स्वीटी थी I

जॉन कुछ समझ नहीं पा रहा था I

(कुछ साल पहले की कहानी इस प्रकार है )
स्वीटी को जब खत मिला था वो अपने दोस्त के घर पर थी I खत पढ़कर उससे रहा नहीं गया और वह सीधा अपने घर
पंहुची जहाँ हर जगह खून ही खून बिखरा हुआ था I उसने आवाज लगाईं माँ ………………माँ ……………………
आगे बढ़ी तो देखा माँ खून से तर- बदर थी I सांसे रुक गई थी I
तभी कुछ आहट हुई स्वीटी ने देखा कुछ लोग दूसरे कमरे में बैठे हैं उन्होंने स्वीटी को देख लिया I तब से आज तक स्वीटी बस भाग रही है I वो अब इस दुनिया में नहीं है आगे आप समझ ही गए हो स्वीटी अब क्या है ?—————————–

4 Likes · 6 Comments · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*झूठा  बिकता यूँ अख़बार है*
*झूठा बिकता यूँ अख़बार है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बेटी उड़ान पर बाप ढलान पर👰👸🙋👭🕊️🕊️
बेटी उड़ान पर बाप ढलान पर👰👸🙋👭🕊️🕊️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गांधी से परिचर्चा
गांधी से परिचर्चा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
चलो आज खुद को आजमाते हैं
चलो आज खुद को आजमाते हैं
कवि दीपक बवेजा
......मंजिल का रास्ता....
......मंजिल का रास्ता....
Naushaba Suriya
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बीरबल जैसा तेज तर्रार चालाक और समझदार लोग आज भी होंगे इस दुन
बीरबल जैसा तेज तर्रार चालाक और समझदार लोग आज भी होंगे इस दुन
Dr. Man Mohan Krishna
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
3087.*पूर्णिका*
3087.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
Paras Nath Jha
धरती के भगवान
धरती के भगवान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
छोड़ जाते नही पास आते अगर
छोड़ जाते नही पास आते अगर
कृष्णकांत गुर्जर
बलपूर्वक निर्मित स्थिति
बलपूर्वक निर्मित स्थिति
*Author प्रणय प्रभात*
खुशियों की सौगात
खुशियों की सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
फितरत से बहुत दूर
फितरत से बहुत दूर
Satish Srijan
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आस्था और चुनौती
आस्था और चुनौती
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
💐 Prodigy Love-29💐
💐 Prodigy Love-29💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
तुम ही कहती हो न,
तुम ही कहती हो न,
पूर्वार्थ
*शहर की जिंदगी*
*शहर की जिंदगी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
कह कर गुजर गई उस रास्ते से,
कह कर गुजर गई उस रास्ते से,
Shakil Alam
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
मन मेरा कर रहा है, कि मोदी को बदल दें, संकल्प भी कर लें, तो
Sanjay ' शून्य'
"चंदा मामा, चंदा मामा"
राकेश चौरसिया
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
कुण्डलिया-मणिपुर
कुण्डलिया-मणिपुर
दुष्यन्त 'बाबा'
पिता की आंखें
पिता की आंखें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...