Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2021 · 2 min read

यह लाश अचिन्ह है?

_______________________________________
अलग हैं ब्रह्मांड रचे जाने के नियम.
विनतियाँ नहीं चलते वहाँ
चलते हैं सिर्फ गणित के समीकरण.

इस ब्रह्मांड में,
वह यदि अलाव के पास बैठा तो
मरेगा भूख से.
नहीं बैठा तो
ठंढ से.
‘वह’,वह है
नहीं होती
जिसके पास जमा-पूंजी.
रोज का अर्जन है
रोज का भोजन.
आलावा इसके
भूख के परीक्षा में पास होने की
और दूसरी नहीं कोई-
सफलता की कुंजी.

बढ़ी थी ठंढक पहले कम फिर ज्यादा.
खिसकते-खिसकते शून्य के नीचे तापक्रम.
मौसम वैज्ञानिकों के अनुमान बढ़ेंगे तो
बढ़ेगा तापक्रम.
बढने से होगी सहूलियत उसे.
भू नहीं, भोजन-अर्जन पर
पा सकेगा निकल.
किसी मौत से शायद
वह और उसका कुनबा
बच जाने में होगा सफल.
भूख से मरने देना, अपराध नहीं,
अभीतक है अनैतिकता.
काश! इस ठंढक के तवे पर
रोटियां सिंकता.
चाहे गीली ही.

दूरदर्शन पर
कथावाचक और सन्देशवाहक के बीच
मरनेवाले वे हैं जो
गर्मी में लू से मरते हैं
या सर्दी में अधभरे भूख के ठंढ से .
शायद पूर्वजों के किये गये
अपराध के दंड से.

वह अपराध;
युद्ध से भाग जाने का हो सकता है.
वह अपराध;
किसीकी अधीनता स्वीकार कर लेने का
हो सकता है.

धरती सर्वभोग्या है.
श्रेयस्कर भोग है
कुटुंब की तरह.
सिंहासन सर्वभोग्य होता!
नहीं है.
हर मौसम इसलिए
मरने का मौसम है
उनके लिए.
वे मरते इसलिए नहीं कि
मौसम सर्द है या गर्म.
क्योंकि
उसके लिहाफ का आग
उसका पीपल का वृक्ष.
छीन ले गया है कोई
आततायी क्रूर यक्ष.

क्षुब्ध ताप और क्रोधित ठंढ से
बचने के साधन वाले जो हैं वे.
बार-बार पालनकर्ता विष्णु के
स्थापित नियमों को
है तोड़ने वाले.
विष्णु भी उसका बाल-बांका
कर नही पाते मेरे होने तक.
उसके बाद जो हो,
आता नहीं मुझ तक.

वे नियमों से बचाव कि जुगत में
होते है दक्ष.
वे बेचते हैं नैतिकता.
तौलते हैं व्यवहार.
गिनते हैं शासक के कद.
आंकते है सत्ता के अंक.
जानते है वे
कैसे और कब बदलना है
कौन सा पक्ष.

इस ठंढ भरे मौसम में
और
उस लू भरे गर्म हवाओं में
मरने वाले है हम.
जो चीथड़े पहने माँ
के कोख से
नग्न उतरकर नग्न ही रहे.
जबतक किसी ठंढ या लू में
मर नहीं गये हम.
हमें मरने का किन्तु,
मानवीय भाग्य प्राप्त हो.
पाशव नहीं.
—————————————————————————————–

Language: Hindi
178 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
// प्रसन्नता //
// प्रसन्नता //
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सन्देश खाली
सन्देश खाली
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
■ शुभागमन गणराज 💐
■ शुभागमन गणराज 💐
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी नज़्म, शायरी,  ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
मेरी नज़्म, शायरी, ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
अनंत पांडेय "INϕ9YT"
"बिन स्याही के कलम "
Pushpraj Anant
जो ना होना था
जो ना होना था
shabina. Naaz
मेरे विचार
मेरे विचार
Anju
संगत
संगत
Sandeep Pande
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Mahender Singh
जिसने अस्मत बेचकर किस्मत बनाई हो,
जिसने अस्मत बेचकर किस्मत बनाई हो,
Sanjay ' शून्य'
प्रीति
प्रीति
Mahesh Tiwari 'Ayan'
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
Rj Anand Prajapati
2869.*पूर्णिका*
2869.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*लता (बाल कविता)*
*लता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हम और तुम जीवन के साथ
हम और तुम जीवन के साथ
Neeraj Agarwal
ये गीत और ग़ज़ल ही मेरे बाद रहेंगे,
ये गीत और ग़ज़ल ही मेरे बाद रहेंगे,
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
'अशांत' शेखर
"कवि"
Dr. Kishan tandon kranti
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
Khaimsingh Saini
इंतज़ार मिल जाए
इंतज़ार मिल जाए
Dr fauzia Naseem shad
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
पूर्वार्थ
एक काफ़िर की दुआ
एक काफ़िर की दुआ
Shekhar Chandra Mitra
पिछले पन्ने 10
पिछले पन्ने 10
Paras Nath Jha
पेड़ और चिरैया
पेड़ और चिरैया
Saraswati Bajpai
शिक्षार्थी को एक संदेश🕊️🙏
शिक्षार्थी को एक संदेश🕊️🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
नज़र नज़र का फर्क है साहेब...!!
नज़र नज़र का फर्क है साहेब...!!
Vishal babu (vishu)
💐प्रेम कौतुक-313💐
💐प्रेम कौतुक-313💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
तीजनबाई
तीजनबाई
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...