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8 May 2021 · 1 min read

मैं बोल रहा हूं पानी

सुन मानस के हंस, सोच जरा ये प्राणी…
हम भी पानी, तुम भी पानी, पानी है जिंदगानी
मत बेकार बहाओ मुझको, तुम करो ना गंदा पानी…

पंचतत्व के पुतले सुन, समझ आज अभिमानी
गंदे किए सब नदी सरोवर, हुआ जहर सब पानी
सूख गए सब कुछ बाबड़ी, पाताल गया है पानी
उपयोग नहीं उपभोग कर रहा, कैसा मूरख प्राणी….
सुन मानस के हंस……

सुन आदम की जात, न करो और मनमानी
जल जंगल जमीन बचाओ, और बचाओ प्राणी
आओ मुझसे पेश अदब से, बोल रहा मैं पानी
बहा रहे बेकार में पानी, काम नहीं इंसानी
बूंद-बूंद में जीवन है, सबका जीवन पानी
फेंक नहीं बेकार में प्राणी, बोल रहा हूं पानी…
सुन मानस के हंस…..

आंख खोल इंसान, जग में सून सभी बिन पानी
पानी नहीं बचेगा तो, सब लोग मरेंगे बिन पानी
पानी है गंगाजल जमजम, धरो ध्यान हे प्राणी….
सुन मानस के हंस……

-सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 206 Views
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