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29 Nov 2016 · 1 min read

मेरे ख्वाबों का क़ातिल बता दो

मेरे ख्वाबों का क़ातिल बता दो
या बीते पल यादों से मिटा दो

माना हर मसले का हल नहीं है
तो फिर जीने का रस्ता बता दो

गर खतावार हूँ तो है गुज़ारिश
आज हथकड़ियाँ मुझको लगा दो

नाम-ए-दिलबर लिखते हो जहाँ भी
यारो मेरा नाम वहीं लिखा दो

पहले खुल के मिरी खता बता दो
फिर जो चाहे मुझे सज़ा सुना दो

परदा डालो के दिखती ग़रीबी
दूध ज़रा सा पानी में मिला दो

दिल का गुलशन’सरु’खिल के रहेगा
यारो मुफ़लिस का मुखड़ा खिला दो

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