मेरी प्यारी माँ
मेरी शैतानी,मेरी नादानी
मेरी तोतली बाते बचकानी थी।
देख के मेरी बचपन को
तू तो अक्सर मुस्कुराती थी।
थी मेरी लाखो गलती
पर तु मुझे आँचल में छुपाती थी।
जब तू एक लोरी गाती थी
एक थपकी नींद ले आती थी।।
तेरी हर बातो से
शहद सी मिठास आती थी।
तू तो हमेशा हमपर
आशीष ही बरसाती थी।।
मेरे कारण सारे जहां से
तू हमेसा लड़ जाती थी।
तू नही थी पढ़ी लिखी
पर हर धड़कन पढ़ जाती थी।।
बीती तेरी कई ऐसी राते
जिसमे तू भूखी रह जाती थी।
खाली पेट बसर कर के
मुझे पेट भर खिलाती थी।।
देख के मेरी बिगड़ी हालत
तू चिंता में पड़ जाती थी।
मेरे ही देखभाल में तू
सारी रात जग जाती थी।।