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13 Feb 2017 · 1 min read

मेरी कविता

चहूँ ओर
सूरज के
घूमें धरती
वैसे ही…
हर रचना का केन्द्र
तुम बन जाते हो !
हर लफ्ज, हर भाव
समर्पित तुमको
जाने – अंजाने
हर वक़्त तुम ही…
मेरी कविता बन जाते हो !

अंजु गुप्ता

Language: Hindi
438 Views
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