मुद्दे रजाई में जा छुपे ….( हास्य व्यंग कविता)
देश के कई मुद्दे ,
अन्य कई पुराने मुद्दों की रजाई में,
छुपे हैं।
जिनको आदरणीय रवीश जी निकालने ,
का जतन कर रहे हैं।
कोशिश जारी है ,
कभी न कभी तो
निकलेंगे रजाई से बाहर ।
कब तक छुपे रहेंगे ,
आदरणीय रवीश जी की बाज़ जैसी ,
नजरों से ।
क्योंकि सच दिखाते है यह ,
और सच बोलते है।
आपको मालूम नहीं शायद !!
यह सत्यवादी हरिश्चद्र के प्रपोत्र हैं।
और बहुत बड़े देशप्रेमी भी ।