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4 Mar 2018 · 1 min read

मुक्तक : “ज़ुनून-ए-इश्क़”

ये तड़प भी बड़ी अजीब होती है ,
पर क्या करूँ ?
दिल को अजीज होती है ,
छुप-छुप के मोहब्बत करने की
जरूरत नहीं ,
हम तो ‘ वर्णान्ध ‘ हैं ,
“ज़ुनून-ए-इश्क़” के सफर में ।।
– आनन्द कुमार

Language: Hindi
1 Like · 428 Views
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