Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jan 2018 · 1 min read

मालती माधव छंद

माधव मालती छंद
2122, 2122, 2122, 2122
नेह निर्मल दृष्टि ने जब इस वदन तन को छुआ है।
प्रेम का अंकुर हृदय में प्रस्फुटित तब से हुआ है।
शीत की नित गुनगुनी सी धूप का फैला उजाला।
देख उनको भावनाओं का उदधि उमड़े निराला।।

देश हित में हर प्रदूषण है हमें मिलकर मिटाना।
धर्म को ला बीच में अब मत करो कोई बहाना।
गंदगी या हो प्रदूषण सब मिटा कर दो उजाला।
राष्ट्र अपना बन सकेगा विश्व में बस तब निराला।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 2288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समझदार तो मैं भी बहुत हूँ,
समझदार तो मैं भी बहुत हूँ,
डॉ. दीपक मेवाती
बधाई का गणित / मुसाफ़िर बैठा
बधाई का गणित / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
चुभते शूल.......
चुभते शूल.......
Kavita Chouhan
बदलती फितरत
बदलती फितरत
Sûrëkhâ Rãthí
*यह सही है मूलतः तो, इस धरा पर रोग हैं (गीत)*
*यह सही है मूलतः तो, इस धरा पर रोग हैं (गीत)*
Ravi Prakash
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
Madhuri Markandy
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
कवि दीपक बवेजा
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
लक्ष्मी सिंह
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
Sahil Ahmad
23/155.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/155.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
👌आह्वान👌
👌आह्वान👌
*Author प्रणय प्रभात*
जमाने से सुनते आये
जमाने से सुनते आये
ruby kumari
कर रहा हम्मास नरसंहार देखो।
कर रहा हम्मास नरसंहार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं
5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं
Ajay Kumar Vimal
ईश्वर है
ईश्वर है
साहिल
मेरी सोच~
मेरी सोच~
दिनेश एल० "जैहिंद"
"शायरा सँग होली"-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा
Buddha Prakash
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
नेहा सिंह राठौर
नेहा सिंह राठौर
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल --बनी शख़्सियत को कोई नाम-सा दो।
ग़ज़ल --बनी शख़्सियत को कोई नाम-सा दो।
rekha mohan
तो तुम कैसे रण जीतोगे, यदि स्वीकार करोगे हार?
तो तुम कैसे रण जीतोगे, यदि स्वीकार करोगे हार?
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पत्थर दिल समझा नहीं,
पत्थर दिल समझा नहीं,
sushil sarna
कुछ लोग अच्छे होते है,
कुछ लोग अच्छे होते है,
Umender kumar
हमेशा तेरी याद में
हमेशा तेरी याद में
Dr fauzia Naseem shad
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
Bhupendra Rawat
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
"लट्टू"
Dr. Kishan tandon kranti
फागुन कि फुहार रफ्ता रफ्ता
फागुन कि फुहार रफ्ता रफ्ता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
The_dk_poetry
Loading...