महर्षि वाल्मीकि (कुंडलिया)
महर्षि वाल्मीकि 【कुंडलिया】
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होते अगर न ऋषि-प्रवर ,वाल्मीकि महाराज
कैसे जन-जन जानते ,कौन राम थे आज
कौन राम थे आज , कथा रामायण गाई
रामचंद्र की कीर्ति , जगत-भर में फैलाई
कहते रवि कविराय , वृत्त – जीवन को खोते
कौन जानता राम ,अगर कवि – श्रेष्ठ न होते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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