भारत
भारत दशा
वर्तमान परिदृश्य
दिनाँक- 6/8/2021
विधा- मुक्त कविता
टूटी सड़कें नीर भरा है,
कूड़े का पहाड़ बना है।
हिंसा का आवास हुआ है।
क्या भारत आजाद हुआ है?
1 हड़तालें,विध्वंस,प्रदर्शन,
मर्यादाओं का है मर्दन।
आंदोलन का राज हुआ है।
क्या भारत आजाद हुआ है?
2 नैतिक मूल्य मनुज है खोता,
अत्याचार फसल है बोता।
धोखा स्वार्थ में लिप्त हुआ है।
क्या भारत आजाद हुआ है?
3 मरे हुओं के अंग बेचकर,
बिना मरों के गले रेतकर।
अंगों का व्यापार हुआ है।
क्या भारत आजाद हुआ है?
4 मैच की फिक्सिंग साझेदारी,
जनता पिसती है बेचारी।
व्यभिचार का वास हुआ है।
क्या भारत आजाद हुआ है?
5 अरमानों की उठती डोली,
चोरी ,झूठ की लगती बोली।
मानवता का ह्रास हुआ है।
क्या भारत आजाद हुआ है?
6 चलो रे बन्धु जश्न मनाएं,
प्रीत प्यार के दीप जलाएं।
क्यों कि दिलों में प्यार घटा है।
क्या भारत आजाद हुआ है?
प्रवीणा त्रिवेदी “प्रज्ञा”
नई दिल्ली 74