गौ माता की दर्द भरी कहानी
गौ माता की बस यही है कहानी ,
देती हमें दूध और आंखो में पानी ।
पानी क्यों न होगा आंखो में उसके ,
हमने दिया क्या जीवन में उसके ।
ना ठीक से पोषण न ही देते आश्रय ,
बेचारी डोलती सड़को पर असहाय ।
मालिक का जब तक स्वार्थ सिद्ध होता,
तब तक उसका पालन पोषण है होता।
बुजुर्ग यदि हो जाए ,कोई बीमारी हो जाए ,
तो वो स्वार्थी अपने कर्तव्य से जी चुराए ।
बिन सेवा और दावा दारू के वो माता ,
सड़को पर भूखी प्यासी भटके हाय दाता !
यूं ही वो बीमारी और भूख की अवस्था में ,
अपशिष्ट पदार्थ/प्लास्टिक खाए कचरे में ।
कहने को कहा जाता इसमें देवता बसते है ,
फिर क्यों नहीं हम इनकी पूजा करते है ?
बेचारी गौ माता सारा जीवन सेव दे हमें ,
अंत में अपनी खाल भी भेंट करे वो हमें ।
अमृत सा दूध प्रदान करे बदले में विष पाए ,
उस पर उसका बच्चा मां के दूध बिन रह जाए ।
मां का दूध ना मिलने से मर जाते बेचारे बच्चे ,
मानवों की सेवा रत दुलार भी नही पाती बच्चे ।
बच्चों के गम में मां का दूध न सुख जाए ,तो
मृत बच्चे का सर सामने लटका दिया जाए ।
ओह ! कितने निर्दयी और स्वार्थी होते है मानव ,
मानवता की बात करते हैं मानवताहीन मानव ।