बिन थाह समुंदर का किस काम का पानी है।
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बिन थाह समुंदर का किस काम का पानी है।
उस घाट से’ क्या लेना जिस पाल विरानी है।।(१)
कब कौन भरोसा है दुनिया की’ बजरिया में।
महफ़िल ही’ नहीं ये तो दुनिया अनजानी है।।(२)
नफरत न करो हमसे हम प्यार तुम्हारा हैं।
कुर्बान हैं’ हम तुम पर, कुर्बान जवानी है।(३)
तुम भूल रहे खुद को महफ़िल जो’ सजाई है,
तेरी ही’ नहीं यह तो जन जन की’ कहानी है।(४)
मिलते हैं’ सफर में राही खुद का’ हमें कहकर
मिल-मिल के बिछुड जाना यह बात पुरानी है।(५)