Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2021 · 3 min read

बात गरीब गुरबों की!

अपने देश में गरीबों की संख्या का सटीक आंकड़ा ही नहीं है,बस तुके में कहा जाता है कि देश में बीस बाइस करोड़ लोग गरीब हैं!दो हजार ग्यारह की जनगणना में भी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि कितने लोग गरीब हैं, और अब जब कोरोना महामारी ने रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है तो यह संख्या और बढ़ गई है यह सामान्य चर्चा में कहा सुना जाता है! इस आपदा काल में कितने लोग काम धाम से वंचित हुए हैं इस पर भी मतांतर बना हुआ है!
देश में कोई भी सत्ता धारी दल रहा हो वह आया तो इसी वायदे के साथ है कि देश की बेरोजगारी दूर करेंगे, गरीबी हटाएंगे, खुशहाली लाएंगे, किंतु हालात ‘ढाक के तीन पात!’ ही बने हुए हैं! गरीबों के लिए अनेकों योजनाएं बनाई गई हैं और बनाई भी जा रही हैं किन्तु वह धरातल पर काम नहीं कर पा रही हैं,इसकी वजह भी है, गांव -देहात में जो कोई योजना चलाई भी गई तो उसमें भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है, जिसे इस योजना से लाभान्वित किया जाता था उसे भी यह एहसास करा दिया जाता रहा है कि मुफ्त में मिल रहा है, तो खाओ पियो और मौज करो! बस यह सिलसिला चल पड़ा तो फिर रुका नहीं और बढ़ता ही गया! जिस उद्देश्य से योजना का लाभ उठाया जा सकता था वह फलीभूत नहीं हुआ! गरीब-गरीब ही बना रहा और देखा देखी जो लोग समाज में ठीक ठाक थे वह भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए गरीबी रेखा से नीचे सामिल होने के लिए हाथ पैर चलाने लगे, और जो ध्येय था वह भटक गया!
सरकार गरीबों के लिए मुफ्त अनाज, मुफ्त इलाज, और मुफ्त शिक्षा देने के नाम पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपने दायित्वों से मुक्त हो जा रही है, जबकि होना तो यह चाहिए था कि गरीब को स्थाई रोजगार दिया जाता, ताकि वह स्वयं कमा कर अपने परिवार का पालन-पोषण करके सम्मान के साथ जीवन जी सके! लेकिन हो यह रहा है कि उन्हें मुफ्त में कुछ अनाज देकर, उनके खाते में कुछ अनुदान राशि भेज कर राजकोष तो खर्च कर रही है पर उसका प्रभाव समाज में उल्टा ही पड़ रहा है, टैक्स का भुगतान करने वाले इसे अपने साथ अन्याय के रूप में देखते हैं, तथा उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं!वर्ग भेद बढ रहा है, गरीब-अमीर के सामने भले ही दिखावे का सम्मान प्रकट करता दिखाई दे लेकिन समझता वह उसे शोषक वर्ग से हैं!
सरकार धन खर्च कर भी रही है और गरीबों की हालत में सुधार भी नहीं हो रहा है, तो फिर वह लीक पर ही क्यों चलना चाह रही है,क्यों नहीं वह आमूलचूल परिवर्तन करने को तैयार होती है!
आज जब सरकार ने बड़े बड़े विवादास्पद फैसले लेकर एक नई परिपाटी तैयार कर ली है तो फिर इस तरह की वह योजनाएं जो तात्कालिक लाभ के लिए शुरू की गई थी को आज भी ढोने को मजबूर है, यदि सरकार यह ठान लें कि मुझे क्या करना है तो वह उसे करके दिखा भी सकती है यह तो हमने कुछ फैसलों में देख भी लिया है, तो अब उसे गरीब पर फोकस करके योजना बना कर उसे लागू करवाने का प्रयास करना चाहिए, और वह शुरुआत करके एक युग परिवर्तन की राह खोल सकती है! समाधान यही है कि हर हाथ को काम मिले,हर नागरिक को रोजगार करने का वातावरण तैयार रहे जो नौकरी करना चाहें उन्हें नौकरी, जो कारोबार करना चाहें उन्हें उसके अनुरूप परिस्थिति मिले, जो उधोग धंधे में नाम कमाने की चाह रखते हैं उन्हें वह अवसर प्रदान कराया जाए, जो खेती बाड़ी करना चाहें उन्हें उनके फसल का उचित मूल्य मिलें, जो सरहदों पर देश की रक्षा करना चाहें उन्हें वह सम्मान प्राप्त हो, जो घरेलू सुरक्षा में जाना चाहें उन्हें वहां स्थान मिले, जो शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहें उन्हें वहां पर नियुक्ति मिले, जो देश के लोगों को स्वास्थ्य सेवा देना चाहें उन्हें उसका अवसर मिले, ऐसे में जहां जिसकी रुचि है उसे उसमें काम करने का मौका प्रदान करते हुए नवनिर्माण की रुपरेखा तैयार की जाए तो शायद देश से यह वर्ग भेद का भाव बोध दूर किया जा सके! लेकिन ऐसा कुछ होता हुआ दिखाई नहीं देता, और तभी आज भी गरीब गुरबों की संख्या घटती बढ़ती रहती है और यह क्रम अनवरत जारी है।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 1105 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
तन तो केवल एक है,
तन तो केवल एक है,
sushil sarna
भगवा है पहचान हमारी
भगवा है पहचान हमारी
Dr. Pratibha Mahi
फिर एक समस्या
फिर एक समस्या
A🇨🇭maanush
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
Neelam Sharma
विद्यापति धाम
विद्यापति धाम
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
माँ दुर्गा की नारी शक्ति
माँ दुर्गा की नारी शक्ति
कवि रमेशराज
प्रकृति
प्रकृति
Bodhisatva kastooriya
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
अंसार एटवी
*बहस अभागी रो रही, उसका बंटाधार【कुंडलिया】*
*बहस अभागी रो रही, उसका बंटाधार【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
अधूरे ख्वाब
अधूरे ख्वाब
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
बेटियां अमृत की बूंद..........
बेटियां अमृत की बूंद..........
SATPAL CHAUHAN
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
Vishal babu (vishu)
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
DrLakshman Jha Parimal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
आह जो लब से निकलती....
आह जो लब से निकलती....
अश्क चिरैयाकोटी
Ab maine likhna band kar diya h,
Ab maine likhna band kar diya h,
Sakshi Tripathi
चंद ख्वाब मेरी आँखों के, चंद तसव्वुर तेरे हों।
चंद ख्वाब मेरी आँखों के, चंद तसव्वुर तेरे हों।
Shiva Awasthi
💐प्रेम कौतुक-249💐
💐प्रेम कौतुक-249💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
???
???
*Author प्रणय प्रभात*
2752. *पूर्णिका*
2752. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
छोड़ दिया किनारा
छोड़ दिया किनारा
Kshma Urmila
भगतसिंह: एक जीनियस
भगतसिंह: एक जीनियस
Shekhar Chandra Mitra
रिश्ते फीके हो गए
रिश्ते फीके हो गए
पूर्वार्थ
"वर्तमान"
Dr. Kishan tandon kranti
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
अजहर अली (An Explorer of Life)
हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा / MUSAFIR BAITHA
हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कभी कम न हो
कभी कम न हो
Dr fauzia Naseem shad
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
Harminder Kaur
Loading...