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15 Feb 2017 · 1 min read

बचपन

खेलकूद भी चलता रहता है
और लड़ना झगड़ना भी,
बचपन में हम ऐसे ही होते हैं।
कोई बात देर तक ठहर ही नहीं पाती,
साथ खेलना जरूरी होता है।
पर ज्यों ही हम बड़े होते हैं ,
रिश्तों की टहनी पर उग आये
कांटें ही गिनते रह जाते हैं।
फूल मुरझाता रह जाता है और
रिश्तों की खुश्बू कम हो जाती है।
लक्ष्मी सिंह

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