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17 Jun 2020 · 1 min read

बंद नयन के सजते सपने

ताटक छंद – बंद नयन के सजते सपने
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अपना भी जीवन बीता है,
खुशियों और बिसादों में।
बंद नयन के सजते सपने,
झाँक रही है यादों में।
★★★★★★★★
पग-पग जीवन में आगे बढ़,
मंजिल हमने पाया है।
रूखी सुखी तब रोटी खाकर,
जीवन सहज बिताया है।
जिसने हमको साथ दिया है,
अपनो को नहीं भूलेंगे।
अब भी हम कोशिश करते हैं,
निज सपनों में झूलेंगें ।
भरा हौसला हमने हरपल,
सुलग रही जज्बातों में।
बंद नयन के सजते सपने,
झाँक रही है यादों में।
★★★★★★★★★
अब तक जितना भी इस जग में,
अपना जीवन बीता है ।
कभी कदम यह नहीं रुका है,
हर राहों को जीता है ।
अपने तन मन और लगन को,
खुद फौलाद बनाया है ।
कठिन परिश्रम का साधन कर,
सुखमय जीवन पाया हैं।
कुछ करने की जोश भरें अब,
अपने अटल इरादों में।
बंद नयन के सजते सपने,
झाँक रही हैं यादों में।
★★★★★★★★★
रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ. ग.)
मो. 8120587822

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 364 Views
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