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18 Feb 2017 · 1 min read

प्रेम ईश है

ढाईआखर प्रीति का पढ़लो बन जाओ तुम पंडित ज्ञानी|
बिना चाह के उतरेगी मन में उमंग बनकर शैतानी |
व्यापक रूप मुहब्बत का, जो समझ गए तो प्रेम ईश हैं|
जीजस औ अल्लाह इधर , तो उत वाहेगुरु, शंकर ध्यानी|

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

Language: Hindi
498 Views
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