Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Nov 2021 · 1 min read

प्रदूषण

संगे मरमर का गढ़ा
प्रेम का प्रतीक मैं
चन्द्रमाँ का बनके दर्पण
एक महल के रूप में
मुद्दतों से मैं खड़ा हूँ
एक नदी के छोर पर
सिसकियाँ भरता हुआ
काटता हूँ रात-दिन।।

खण्डहर बनता हुआ
ये पूछता है मेरा मन
कब तलक छुपकर रहेगा
ये तुम्हारा बुढ़ापन
कब तलक भरते रहोगे
रात दिन ये सिसकियाँ
कब तलक आख़िर छुपेंगी
ये तुम्हारी झुर्रियाँ।।

कब तलक ज़िदा रहोगे
ऐसे प्रदूषण में तुम
देखना हो जाओगे फिर
एक दिन नक़्शे से गुम
जल्द ही ऐ ताज तेरा
वह भी दिन आने को है
टुकड़े टुकड़े होके तू
बेवक़्त ढह जाने को है।।
****

सरफ़राज़ अहमद “आसी”

Language: Hindi
266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Typing mistake
Typing mistake
Otteri Selvakumar
जिंदगी जब जब हमें
जिंदगी जब जब हमें
ruby kumari
बेटी को मत मारो 🙏
बेटी को मत मारो 🙏
Samar babu
गर्द चेहरे से अपने हटा लीजिए
गर्द चेहरे से अपने हटा लीजिए
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
*”ममता”* पार्ट-1
*”ममता”* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
खालीपन
खालीपन
MEENU
शीर्षक - खामोशी
शीर्षक - खामोशी
Neeraj Agarwal
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
'अशांत' शेखर
दो पाटन की चक्की
दो पाटन की चक्की
Harminder Kaur
*खाओ गरम कचौड़ियॉं, आओ यदि बृजघाट (कुंडलिया)*
*खाओ गरम कचौड़ियॉं, आओ यदि बृजघाट (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कविता
कविता
Bodhisatva kastooriya
संतोष करना ही आत्मा
संतोष करना ही आत्मा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
2268.
2268.
Dr.Khedu Bharti
आज की जरूरत~
आज की जरूरत~
दिनेश एल० "जैहिंद"
प्रकृति
प्रकृति
Mukesh Kumar Sonkar
💐अज्ञात के प्रति-113💐
💐अज्ञात के प्रति-113💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"प्लेटो ने कहा था"
Dr. Kishan tandon kranti
वो इक नदी सी
वो इक नदी सी
Kavita Chouhan
■ अप्रासंगिक विचार
■ अप्रासंगिक विचार
*Author प्रणय प्रभात*
नहले पे दहला
नहले पे दहला
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*क्या देखते हो*
*क्या देखते हो*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Believe,
Believe,
Dhriti Mishra
आम आदमी
आम आदमी
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
देर तक मैंने
देर तक मैंने
Dr fauzia Naseem shad
सड़क जो हाइवे बन गया
सड़क जो हाइवे बन गया
आर एस आघात
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
Loading...