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14 Oct 2020 · 1 min read

प्यार आँखों में यूँ समाया है

प्यार आँखों में यूँ समाया है
बेख़ुदी है नशा सा छाया है

हर क़दम सोचकर उठाया है
फिर भी गर्दिश का हम पे साया है

हर कोई दो क़दम का है साथी
साथ किसने यहाँ निभाया है

आइना सिर्फ़ सच ही दिखलाए
सबने मतलब अलग लगाया है

लोग सीखा किये किताबों से
हादसों ने हमें सिखाया है

इम्तिहां वक़्त ले रहा मेरा
हौसला ख़ुद का आज़माया है

ये खिलाड़ी भी है मदारी भी
वक़्त ने सबको ही नचाया है

दोस्ती का सही जो है मतलब
दुश्मनों ने हमें बताया है

इतना आसां नहीं सफ़र कोई
हर क़दम मुश्क़िलों का साया है

हारकर जीत उसने है पाई
आज ‘आनन्द’ मुस्कुराया है

शब्दार्थ:- गर्दिश = सकंट

– डॉ आनन्द किशोर

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