परदेशी-परदेशी तुम जाना नहीं
एक साहिब ने एक नौकर लगाया।
नौकर ने अपना नाम परदेशी बताया।
परदेशी ने ड्यूटी फर्ज ऐसा निभाया।
चार दिन की छुट्टी मारी, एकदिन आफिस-
को आया।
साहिब को बहुत गुस्सा आया,झट से नौकर
को बुलाया,उसकी तरफ देखा और चिल्लाया।
अबे,परदेशी!कल से आफिस को आना नहीं।
मुझे तेरे जैसा नौकर रखना नहीं,भाना नहीं।
इस पर परदेशी बोला,क्या कहते हो?साहिब,
कल से आफिस में आना नहीं।
आज तो बच्चे-बच्चे की जुबान पर है…
परदेशी-परदेशी तुम जाना नहीं…जाना नहीं।