Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2021 · 2 min read

निश्छल मन होता है माँ ।

बड़ा ही निश्छल मन होता है माँ का जल की तरह।
हर रिश्तें मे ही ढल जाती है वह सब रंग की तरह।।1।।

कभी जो आती है मुसीबत उसके बच्चों पर कहीं।
लड़ जाती है माँ जीवन मे सबसे हीे जंग की तरह।।2।।

चाहे कोई भी साथ दे या ना दे इस जीवन में तुम्हारा।
माँ तो साथ देती है तेरा हमेशा तेरे साये संग की तरह।।3।।

अपना सब ही त्याग देती है वह अपने बच्चों के लिए।
माँ होती है इस दुनियाँ में बिल्कुल ही रब की तरह।।4।।

सभी को दिख जाएंगे यकीनन तेरे गुनाह इस वारदात में।
एक माँ ही हैं जो दोष ना देगी तुझे यहाँ सब की तरह।।5।।

सारे रिश्ते छोड़कर चले जाएंगे तेरी मुफलिसी में तुझको।
एक माँ ही है जो तेरा साथ देगी तेरे जिगरी दोस्त की तरह।।6।।

थक जाए जो तू रिश्तें निभाने में कभी आना माँ के पास।
आँचल इसका शज़र है सुकूंन देगा तुझे छाँव की तरह।।7।।

सब कुछ ही बट जाता है भाइयों में घर के बटवारे के वक्त।
एक माँ ही नहीं बटती है बस भाइयों में दौलत की तरह।।8।।

खुदा की खुदाई भी कम पड़ जाए शायद जहां में तेरे लिए।
माँ की ममता कभी कम होती नहीं गहरे समुंदर की तरह।।9।।

वक़्त के साथ रिश्तें भी बदलने लगते है तेरी अमीरी-गरीबी में।
एक माँ का रिश्ता ही नहीं बदलता दुनियाँ में शोहरत की तरह।।10।।

रखना तू हमेशा जीवन में अपनी माँ को हर पल अपने पास।
खुश रहेगा सदा तू एक माँ ही होती नहीं बस गम की तरह।।11।।

इक छोटी सी इल्तिज़ा है मेरी दुनियाँ में तुम सभी से मेरे यारों।
माँ का रखना हमेशा ध्यान अपनी सांसों में धड़कन की तरह।।12।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

3 Comments · 241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सिकन्दर बनकर क्या करना
सिकन्दर बनकर क्या करना
Satish Srijan
मैं पुरखों के घर आया था
मैं पुरखों के घर आया था
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
प्रेम प्रतीक्षा करता है..
प्रेम प्रतीक्षा करता है..
Rashmi Sanjay
मुजरिम करार जब कोई क़ातिल...
मुजरिम करार जब कोई क़ातिल...
अश्क चिरैयाकोटी
देखता हूँ प्यासी निगाहों से
देखता हूँ प्यासी निगाहों से
gurudeenverma198
बरसें प्रभुता-मेह...
बरसें प्रभुता-मेह...
डॉ.सीमा अग्रवाल
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
(1) मैं जिन्दगी हूँ !
Kishore Nigam
आजादी
आजादी
नूरफातिमा खातून नूरी
"गाँव की सड़क"
Radhakishan R. Mundhra
गुमनाम शायरी
गुमनाम शायरी
Shekhar Chandra Mitra
पहला प्यार
पहला प्यार
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
स्पेशल अंदाज में बर्थ डे सेलिब्रेशन
स्पेशल अंदाज में बर्थ डे सेलिब्रेशन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रणचंडी बन जाओ तुम
रणचंडी बन जाओ तुम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
चांद बिना
चांद बिना
Surinder blackpen
2320.पूर्णिका
2320.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बेटी
बेटी
Dr Archana Gupta
तुझे भूल जो मैं जाऊं
तुझे भूल जो मैं जाऊं
Dr fauzia Naseem shad
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
जबसे उनको रकीब माना है।
जबसे उनको रकीब माना है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दुर्बल कायर का ही तो बाली आधा वल हर पाता है।
दुर्बल कायर का ही तो बाली आधा वल हर पाता है।
umesh mehra
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
Anand Kumar
"एक नाविक सा"
Dr. Kishan tandon kranti
परिवार
परिवार
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
दर्पण दिखाना नहीं है
दर्पण दिखाना नहीं है
surenderpal vaidya
साहस का सच
साहस का सच
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दिल लगाएं भगवान में
दिल लगाएं भगवान में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
Ravi Prakash
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
DrLakshman Jha Parimal
Loading...