नाजुक दौर पर सख्त कदम
हर मुख्य मंत्री अपने राज्य का ,
अगर यूं ही मनमानी करने लग गया।
तो राष्ट्र संगठित कैसे हो पाएगा ?
खतरे में पड़ जाएगी संसदीय प्रणाली ,
राष्ट्र फिर राष्ट्र कहां रह जायेगा ?
फिर ऐसे में कोई पड़ोसी दुश्मन ,
फूट डालो राज करो की नीति का उपयोग करेगा।
बड़ी मेहनत कर ,अपना खून बहाकर,
जिन शहीदों ने दिलवाई आजादी ।
उनका किमती बलिदान व्यर्थ हो जायेगा ।
इसीलिए ऐसे नाजुक घड़ी को देखते हुए ,
बहुत कड़े नियमों की जरूरत है।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी ! आपको ,
अभी और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।