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24 Jan 2017 · 1 min read

दो दिन का मेहमान है

पैसा ही पैसा इस जग मे,
पैसा ही तो शान है|
तू क्यो इतराता इतना,
दो दिन का मेहमान है||

नोट बंदी पर इक कविता,
मे तो यारो वोल रहा|
अमीर के जीवन मे ,
मे जहर की पुढ़िया घोल रहा||

आधी रात के मोदी ने जी
एक फटाका फोड़ा रे|
सारे हो गये डोरा भैया,
बाप बचो ने मोड़ा रे||

नोट बंदी के कारण भैया,
रातो रात न सोते रै|
बैंको मे वो लेन लगाकर,
जीप मे पैसा ढोते रै||

नाक मे दम कर दई मोदी ने,
सारे भूखा सोते रे|
नोटो के ऊपर सोते कोई,
नोटो के कारण रोते रे

Language: Hindi
392 Views
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