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8 Aug 2020 · 1 min read

दोहा ग़ज़ल

रहती जिसको हर खबर, दिल ऐसा अखबार
और यहीं सजता रहे, सपनों का बाज़ार

हँस कर या रोकर करो, ये है अपने हाथ
करना है हर हाल में, ये भवसागर पार

अच्छा हो या फिर बुरा, कभी न रुकता वक़्त
कभी न इससे हारकर, मत कर मन बीमार

चलती है ये ज़िन्दगी, सुख दुख लेकर साथ
अगर मिलेंगे फूल तो, साथ चुभेंगे खार

सोने जैसा है खरा,पर नाजुक ज्यूँ काँच
रखना जरा सँभाल के, अपना सच्चा प्यार

आँखों से बहकर करें, व्यक्त सभी जज्बात
आँसू से बढ़कर नहीं, कोई अपना यार

आँखें करके बन्द बस, लेते पूरा घूम
हो चाहें कितना बड़ा,यादों का संसार

कितनी माया लो कमा, यहीं जाएगी छूट
कर लो प्रभु की ‘अर्चना’, जीवन के दिन चार

08-08-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

3 Likes · 2 Comments · 482 Views
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