दिल से सबर करना सीख लो(मुक्तक)
दिल से सबर करना सीख लो
वक्त से ज़ख्म भरना सीख लो
गुनाह कभी हो नहीं सकता
अल्लाह से डरना सीख लो
एक मुस्कुराहट भरी शाम हो
दिल में छुपाए यादें तमाम हो
बस एक ही अरमान है दिल की
मरते वक्त लब पे तेरा नाम हो
आदमी थककर चूर हो
मंजिले कोसों दूर हो
चलना नहीं छोड़ता वो
मन में एक सुरूर हो