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30 Nov 2021 · 1 min read

तुम बिन तन मन भट्टी सी जलती

तुम बिन साजन बिंदिया नहीं चमकती
चूड़ी नहीं खनकती
तुम बिन सूनी सेज पिया, पायल नहीं छनकती
तुम बिन नींद उड़ी नयनों से
न सजती और सवंरती
चला गया है चैन भी दिल का
रैन नहीं सुख से कटती
छोड़ दिया श्रृंगार भी तुम बिन
रत्न हार माला मोतियन की
बाजूबंद और करधनी
कांटो जैसी चुभती
आभूषण चुभते हैं बदन में, बंधन जैंसी लगती
कर्णफूल शूल से लगते, नथ मेरी बहुत उलझती
वेंदी वजनदार लगती है, यह मुंदरी नहीं समझती
क्या क्या बतलाऊं मैं तुम बिन, तन मन भट्टी सी जलती ।।

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 4 Comments · 310 Views
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