Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Dec 2016 · 1 min read

( तुम्हे भी चाहने वाला वो कोमल हो भी सकता है )


तुम्हे भी चाहने वाला वो कोमल हो भी सकता है
तुम्हारी आँख की रौनक़ में काजल हो भी सकता है

तुम्हारे होंठ की लाली तुम्हारी नाक की बाली
अगर जो देख ले तुम को वो पाग़ल हो भी सकता है

नितिन शर्मा

Language: Hindi
246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिल कि गली
दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अब हम बहुत दूर …
अब हम बहुत दूर …
DrLakshman Jha Parimal
शायरी की तलब
शायरी की तलब
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
क्यों इन्द्रदेव?
क्यों इन्द्रदेव?
Shaily
2491.पूर्णिका
2491.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वायदे के बाद भी
वायदे के बाद भी
Atul "Krishn"
🙅मैच फिक्स🙅
🙅मैच फिक्स🙅
*Author प्रणय प्रभात*
संगठग
संगठग
Sanjay ' शून्य'
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
Neeraj Agarwal
There are only two people in this
There are only two people in this
Ankita Patel
*पाते हैं सौभाग्य से, पक्षी अपना नीड़ ( कुंडलिया )*
*पाते हैं सौभाग्य से, पक्षी अपना नीड़ ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
Shweta Soni
अन्नदाता किसान
अन्नदाता किसान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
रिशतों का उचित मुल्य 🌹🌹❤️🙏❤️
रिशतों का उचित मुल्य 🌹🌹❤️🙏❤️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ज़िंदगी को दर्द
ज़िंदगी को दर्द
Dr fauzia Naseem shad
गाँव की याद
गाँव की याद
Rajdeep Singh Inda
सरकार से क्या मतलब?
सरकार से क्या मतलब?
Shekhar Chandra Mitra
"व्यवहार"
Dr. Kishan tandon kranti
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
डॉ० रोहित कौशिक
बड़ी मुश्किल से आया है अकेले चलने का हुनर
बड़ी मुश्किल से आया है अकेले चलने का हुनर
कवि दीपक बवेजा
आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
Jitendra kumar
"पुरानी तस्वीरें"
Lohit Tamta
देखा है।
देखा है।
Shriyansh Gupta
यारों की आवारगी
यारों की आवारगी
The_dk_poetry
घरौंदा
घरौंदा
Madhavi Srivastava
रिश्तें - नाते में मानव जिवन
रिश्तें - नाते में मानव जिवन
Anil chobisa
फागुन
फागुन
पंकज कुमार कर्ण
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
Loading...