Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jul 2021 · 2 min read

टार्च

उन दिनों की है जब मैं सातवीं या आठवीं में पढ़ता था। मेरे गाँव के बगल से एक बारात गयी थी, बारातियों में मैं भी शामिल था। उस समय बारातों के एक से अधिक दिन रुकने का चलन था, जिसे हम गाँव की भाषा में ‘मरजाद’ कहते हैं। वह बारात भी तीन दिन रुकी थी मुझे याद है, और याद है उसी दौरान घटी एक घटना भी।
बारात के तीन दिवसीय पड़ाव के दूसरे दिन शाम को एक मेरा परिचित व्यक्ति जो मजबूत कद-काठी, व उम्र में मुझसे लगभग दो गुना बड़ा था, मुझसे सैर-सपाटे का आग्रह किया। हम दोनों निकल पड़े।
अभी कुछ ही दूर निकले थे कि ताड़ के पेड़ दिखाई दिए उस व्यक्ति ने कहा ‘चलो ताड़ी पीते हैं।’ मैंने कहा ‘मैं नहीं पीता, पर वहाँ तक चल जरूर सकता हूँ।’ उसने छककर ताड़ी पी, फिर हम लोग और आगे बढ़ चले।
शाम का अंधेरा बढ़ने लगा था। एक ओर से एक महिला के रोने की आवाज़ आ रही थी, उसके हाँथ में एक टार्च था जिससे तीव्र रोशनी आ रही थी। महिला करीब पहुँची और हमसे अपने मायके पहुँचाने की गुहार करने लगी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसके ससुराल वालों ने उसे मार-पीट कर घर से निकल दिया है। टार्च की रोशनी में उसके नाक से निकलता खून देखकर दिल दहल गया। मैंने साथी व्यक्ति से कहा “चाचा! चलिए इसकी मदद करते हैं, इसे इसके मायके पहुँचा कर आते हैं।” उसने पहले तो इनकार किया फिर बहुत आग्रह करने पर हामी भरी।
अभी महिला के साथ हम लोग कुछ ही दूर चले थे कि एक सवारी गाड़ी आ गयी। हमने उसे गाड़ी में बैठाया और ड्राइवर से प्रार्थना की कि वह उसे सही गन्तव्य तक छोड़ दे।
गाड़ी के जाते ही मेरा माथा घूम गया। महिला का वो चमकता हुआ टार्च मेरे साथी के हाँथ में था, वह बेहद खुश नज़र आ रहा था। मैंने गाड़ी वाले को आवाज़ लगानी चाही मगर वह दूर जा चुका था। पुनः मैंने उस व्यक्ति से कहा ‘चाचा जी! उसका टार्च वापस करना बहुत जरूरी है वरना वह हमारे बारे में क्या सोचेगी?’ इतना सुनते ही उसने मुझे जोर का धक्का दे दिया। यह घटना जब भी याद आती है, मन उदास हो जाता है।

– आकाश महेशपुरी

(साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता)

4 Likes · 3 Comments · 491 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
I hide my depression,
I hide my depression,
Vandana maurya
52 बुद्धों का दिल
52 बुद्धों का दिल
Mr. Rajesh Lathwal Chirana
वो अनुराग अनमोल एहसास
वो अनुराग अनमोल एहसास
Seema gupta,Alwar
समय की धारा रोके ना रुकती,
समय की धारा रोके ना रुकती,
Neerja Sharma
शिर ऊँचा कर
शिर ऊँचा कर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एक सख्सियत है दिल में जो वर्षों से बसी है
एक सख्सियत है दिल में जो वर्षों से बसी है
हरवंश हृदय
अपनों को दे फायदा ,
अपनों को दे फायदा ,
sushil sarna
दर्द देकर मौहब्बत में मुस्कुराता है कोई।
दर्द देकर मौहब्बत में मुस्कुराता है कोई।
Phool gufran
जमाने में
जमाने में
manjula chauhan
आपसी समझ
आपसी समझ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
काश तुम ये जान पाते...
काश तुम ये जान पाते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ముందుకు సాగిపో..
ముందుకు సాగిపో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष
Madhavi Srivastava
■ कथनी-करनी एक...
■ कथनी-करनी एक...
*Author प्रणय प्रभात*
मैं तो महज एहसास हूँ
मैं तो महज एहसास हूँ
VINOD CHAUHAN
आसां  है  चाहना  पाना मुमकिन नहीं !
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
Sushmita Singh
*स्वर्गीय श्री जय किशन चौरसिया : न थके न हारे*
*स्वर्गीय श्री जय किशन चौरसिया : न थके न हारे*
Ravi Prakash
"कवि और नेता"
Dr. Kishan tandon kranti
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
Pushpraj Anant
3185.*पूर्णिका*
3185.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
आज वो भी भारत माता की जय बोलेंगे,
आज वो भी भारत माता की जय बोलेंगे,
Minakshi
खेल भावनाओं से खेलो, जीवन भी है खेल रे
खेल भावनाओं से खेलो, जीवन भी है खेल रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
*** कुछ पल अपनों के साथ....! ***
VEDANTA PATEL
अवावील की तरह
अवावील की तरह
abhishek rajak
"वो यादगारनामे"
Rajul Kushwaha
ज़िंदगी के वरक़
ज़िंदगी के वरक़
Dr fauzia Naseem shad
सांझा चूल्हा4
सांझा चूल्हा4
umesh mehra
वाह वाही कभी पाता नहीं हूँ,
वाह वाही कभी पाता नहीं हूँ,
Satish Srijan
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...