जीवन
———–
धूप-छाँह जैसा है जीवन।
कभी खुशी कभी गम का दर्शन।
दर्शन रचना का समझाता।
नहीं समझने कभी ठहरता।
कभी ठहरता नहीं ये जीवन।
तन-मन जैसा बीत ही जाता।
यादें अपने काम न आती।
फरियादें सब रीत ही जाता।
बस विराम का नाम है जीवन।
अविरत सुख-दु:ख जीवन का रण।
नेह,प्रीत या देह के बन्धन।
सौन्दर्य,ऐश्वर्य के पुलकित क्षण।
कभी न पाया रोक इसे है।
कोई न पाया टोक इसे है।
मीठी नींद सुला जाने दो।
अनकथ भी अब कह जाने दो।
ये हथेलियाँ खुल जाने दो।
मुट्ठी खाली हो जाने दो।
सघन प्राण अनन्त हो जाता।
जब जीवन को मृत्यु आता।
सब खोने दो सब रहने दो।
जीवन के दु:ख फिर गहने दो।
—————————————-