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27 Nov 2021 · 1 min read

ज़िंदगी

ये ज़िंदगी , हर कदम पे तू चलना सिखाती है,
दर-दर भटकना भी तू ही सिखाती है,
तू हँसाती भी है, तू रुलाती भी है,
तू ही है जो मन को बहलाती भी है,
अब हर परिस्तिथियों को मात देना जान लिया है,
ऐ जिंदगी, तेरे सभी शर्तों को मैने मान लिया है।

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