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22 Jan 2020 · 1 min read

चित्कार

जगत जननी नारी को
भगवान भी सर झुकाता है
मगर यह कलयुगी इंसान
क्यों नहीं नारी को पहचानता है,?
हर कदम पर दबाए इसे
आबरू को भी नोचता है
हवस का बनाए शिकार इसे
भगवान से भी नहीं डरता है,
लथपथ सनी पड़ी खून से
कोई इसे नहीं पोछता है,
खुद की बेटी लगे खूब प्यारी
दूसरों के बारे में नहीं सोचता है

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 608 Views
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