गंगा मधुर नहान 【कुंडलिया】
गंगा मधुर नहान 【कुंडलिया】
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आता है हर साल जब ,गंगा मधुर नहान
मेले लगते हैं बड़े ,जुड़ता सकल जहान
जुड़ता सकल जहान ,लगाने डुबकी आते
गंगा जी का नीर , धन्य छूकर हो जाते
कहते रवि कविराय ,नदी के जल से नाता
भारत का अध्यात्म ,जोड़ने हमको आता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उ. प्र.) मोबाइल 99976 15451