कुत्ते (गीतिका)
कुत्ते (गीतिका)
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इधर कुत्ते उधर कुत्ते ,जिधर देखो उधर कुत्ते
सड़क पर और गलियों में डराते हैं निडर कुत्ते(1)
अकेला आदमी सड़कों पर चलने से है घबराता
भ्रमण करते हैं मस्ती भर के सड़कों पर मगर कुत्ते(2)
जो मिल जाएं गली के मोड़ पर तो कांपता है तन
उठाकर सिर दिखाते हैं बड़ी अपनी अकड़ कुत्ते (3)
अगर दाएं को कुत्ता है तो बाँए को चलो प्यारे
अगर हैं कटखने तो भागते हैं काटकर कुत्ते(4)
यह लावारिस जो कुत्ते हैं यकीनन जानलेवा हैं
उचित होगा करे सरकार जेलों में पकड़ कुत्ते(5)
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रचयिता: रविप्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर