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25 Oct 2018 · 1 min read

कातिक पूनम की चांदनी…

कातिक पूनम की चाँदनी
छिटकी मदिर उन्मादिनी

ढुलका रही अमृत-कलश
हुई रात नशीली कासनी

जुन्हाई न्हाई गुराई निशा
कोमल कमनीय कामिनी

देख रूप मंद-मंद मुस्काए
हो आत्मविमुग्धा यामिनी

पसरी अलसाई गली-गली
छबीली नार गज-गामिनी

चंदा जमीं पे आया मनाने
मनाए न माने पर मानिनी

चली रिझाने प्रियतम को
लाज-दुकूल ओढ़े कामिनी

बैठी सिरहाने प्रियवर के
नेह-रस घोले प्रिय वादिनी

माथे सजी बिंदिया चंदा-सी
अंग-अंग दमके ज्यूं दामिनी

रहे माँग भरी नभ-तारों से
रहे सदा सुहागन भामिनी

– सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)

Language: Hindi
2 Likes · 249 Views
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