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13 Sep 2021 · 1 min read

कदम रुके नहीं

कदम रुके नहीं
~~~~~~~
कदम रुके नहीं,
मन थके नहीं,
करो ऐसी जतन,
सिर झुके नहीं।

झाँको अपने अतीत में,
थी जब नन्हीं परी सी,
तब थी,कितनी तन्मय प्रतिपल,
मन को दो फिर वही सुधि।

याद कर, उन भावुक क्षणों को,
तेरी कर्मठता का एहसास हमें था,
जब तेरे नन्हें हाथों में,
छड़ी थमाकर,फुर्सत भी मैं पा लेता था।

मेरी अनुपस्थिति में छड़ी घुमाकर,
बच्चों को भी शांत कराती,
कर्म कोई हो वर्तमान का ,
अच्छे से पूरी कर जाती,

भटके नहीं मन तन्मयता से,
हर मंजिल कदमों में होगी,
बढ़ते कदमों की आहट से,
सब बाधाएं दूर हटेगी।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि -१३/०९/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
7 Likes · 525 Views
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