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10 May 2019 · 2 min read

इंजीनियरिंग : मखौल करते निजी संस्थान

इंजीनियरिंग और मेडीकल हमेशा से एक सपना रहा है | हर माँ बाप का सपना रहता है उनके बेटा या बेटी इंजीनियर या डॉक्टर बने | ये दो पेशे हमेशा से पसंदीदा पेशे रहे है | लेकिन कुछ सालो मे इंजीनियरिंग के कोर्स को गहरा धक्का लगा है | जब जमाने हुआ करते थे तब कोई इक्का दुक्का ही इंजीनियरिंग किया करता था और लोग बड़े फ़क्र से बताते थे कि फ़ला इंजीनियरिंग कर रहा है | लेकिन अब इंजीनियरिंग की ऐसी दुर्दशा हुई है कि लोग न्यूनतम डिग्री के लिए बीटेक कर रहे है | आज बीटेक मे दाखिला लेने के लिये कोई बाधा ही नहीं रही बल्की निजी कॉलेज घर घर जाकर तरह तरह के प्रलोभन देकर बच्चो का दाखिला कर लेते है | मानो बीटेक की डिग्री की कोई गरिमा नही बची | माँ बाप कर्ज लेकर, ज़मीन बेचकर या गिरवी रखकर अपने बच्चों को इंजीनियरिंग के कोर्स में दाख़िला दिलाने वाले ये भी नहीं जानते कि उनका सपनो के साथ निजी कालेज खिलवाड कर रहे है | निजी कालेज कुकुरमुत्ततो कि तरह पनप रहे है जहां शिक्षा की गुणवत्ता को ताक़ पर रख दिया जाता है और शिक्षा को केवल एक व्यवसाय के तौर पर लिया जाता है | मालिक साल के अंत में केवल मुनाफ़ा तलाश करते है ये नहीं देखते कि कितने माँ बाप के सपनो को चकनाचूर कर दिया, कितनो के भविष्य से खेल गये ? ये साल दर साल यू ही होता आ रहा है | निजी कालेज मे तक्नीकी शिक्षा का अभाव है | विधार्थियो मे तक्नीकी ज्ञान शून्य है, कालेज मे केवल पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ती होती है | हाल इस कदर बेहाल है कि कक्षायो में केवल दो या तीन विधार्थी ही है | उन्हे भी न जाने कैसे कैसे करके फ़ँसा लिया जाता है | प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर भद्दा मजाक होता है | विधार्थीयो को अपने ब्रान्च से संबंधित कोई ज्ञान ही नहीं होता | जब विधार्थियो मे दक्षता ही नहीं ऐसे मे इंडस्ट्री कैसे नौकरी दे | इंडस्ट्री मे खुद को ढाल नहीं पाते न ही उनके ख्याली पुलाव के अनुसार वेतन नहीं मिलता है | कई लाख खर्च करने के बाद इतना भी वेतन नहीं मिल पाता कि बच्चा खुद का ख़र्चा भी झेल सके | इस तरह बेरोजगारी भी अपने पैर पसार रही हैं | बेरोजगारी को हम खुद बढावा दे रहे है | इन सब हालातो के लिये कौन जिम्मेदार है? सरकार को निजी कालेज मे दाखिले के कोई मापदंड रखने चाहिये? क्या निजी कालेज की मनमानी पर कडी नज़र रखनी चाहिये ? समय है कि गुणवत्ताशील शिक्षकों की नियुक्ति करे ? शिक्षको को उचित वेतन प्रदान करने के सख्त नियम बनाय तथा समयानुसार जाँच करते रहे ? तकनीकी शिक्षा की इस तरह खिल्ली ना उड़ाई जाय? न तो भारत वर्ष मे अब्दुल कलाम , सतेन्द्र नाथ बोस , रामानुजन, सी वी रमन , होमी भाभा पैदा ही नहीं होंगे |

युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
निदेशक युकीज क्लासेस मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: लेख
321 Views
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