Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2021 · 2 min read

आज़ादी की कीमत

********आजादी की कीमत***********
***********************************

आजादी की कीमत को न बंदा जग में जाने रे,
पिंजरे अंदर कैद परिन्दा ही कीमत पहचाने रे।

रक्तकुण्ड में कितनों ने अमूल्य रक्त बहाया था,
आजादी के परवानों ने जीवन दाव लगाया था,
घर में जो दुबके बैठे भला क्या कीमत जाने रे।
पिंजरे अंदर कैद परिन्दा ही कीमत पहचाने रे।

शमशीरों ने धूल चटाई गोरों की सरकारों को,
जड़ से ही उखाड़ फैंका फिरंगी सरकारों को,
भयभीत भीरू भला जो क्या कीमत जाने रे।
भीरू प्रवृति वाले हो ,तुम क्या कीमत जाने रे।
पिंजरे अंदर कैद परिन्दा ही कीमत पहचाने रे।

शूरवीरों की शूरता से अमूल्य आजादी पाई है,
भारतमाँ के वीर बाँकुरों ने खूब जाने गंवाई है,
लाल लहू रंगीं आजादी की क्या कीमत जाने रे।
पिंजरे अंदर कैद परिन्दा ही कीमत पहचाने रे।

रक्त दे पाई आजादी जिसका कोई है मोल नहीं,
कण कण में सोया शहीद,शहीदी का तोल नहीं,
खून खौलता नहीं जिनका क्या कीमत जाने रे।
पिंजरे अन्दर कैद परिन्दा ही कीमत पहचाने रे।

रणबांकुरों ने रणभूमि में पीठ नहीं दिखाई थी,
पराक्रम की गर्जना सुनके चंडी भी घबराई थी,
तन मन से जो हारे बैठे वो क्या कीमत जानो रे।
पिंजरे अन्दर कैद परिंदा ही कीमत पहचाने रे।

मनसीरत वंदन कर श्रद्धांजलि अर्पित करता है,
शहीदों की शहादत को सुमन समर्पित करता है,
निज रंग में रंगा रंगीला जो क्या कीमत जाने रे।
पिंजरे अन्दर कैद परिन्दा ही कीमत पहचाने रे।

आजादी की कीमत को न बंदा जग में जाने रे।
पिंजरे अन्दर कैद परिन्दा ही कीमत पहचाने रे।
*************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किन्नर-व्यथा ...
किन्नर-व्यथा ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
गरीब और बुलडोजर
गरीब और बुलडोजर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
gurudeenverma198
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
कभी शांत कभी नटखट
कभी शांत कभी नटखट
Neelam Sharma
गवाह तिरंगा बोल रहा आसमान 🇧🇴
गवाह तिरंगा बोल रहा आसमान 🇧🇴
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मेरे होंठों पर
मेरे होंठों पर
Surinder blackpen
..सुप्रभात
..सुप्रभात
आर.एस. 'प्रीतम'
सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
फितरत,,,
फितरत,,,
Bindravn rai Saral
18. कन्नौज
18. कन्नौज
Rajeev Dutta
*सर्दी (बाल कविता)*
*सर्दी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
3218.*पूर्णिका*
3218.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
काश तुम मिले ना होते तो ये हाल हमारा ना होता
काश तुम मिले ना होते तो ये हाल हमारा ना होता
Kumar lalit
छलते हैं क्यों आजकल,
छलते हैं क्यों आजकल,
sushil sarna
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
Smriti Singh
हम उलझते रहे हिंदू , मुस्लिम की पहचान में
हम उलझते रहे हिंदू , मुस्लिम की पहचान में
श्याम सिंह बिष्ट
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
पूर्वार्थ
💐प्रेम कौतुक-530💐
💐प्रेम कौतुक-530💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"ख़्वाहिश"
Dr. Kishan tandon kranti
*कमाल की बातें*
*कमाल की बातें*
आकांक्षा राय
#प्रभात_वंदन
#प्रभात_वंदन
*Author प्रणय प्रभात*
अन्त हुआ आतंक का,
अन्त हुआ आतंक का,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
होली के रंग
होली के रंग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नया से भी नया
नया से भी नया
Ramswaroop Dinkar
मुरझाना तय है फूलों का, फिर भी खिले रहते हैं।
मुरझाना तय है फूलों का, फिर भी खिले रहते हैं।
Khem Kiran Saini
गुब्बारा
गुब्बारा
लक्ष्मी सिंह
लेखनी चले कलमकार की
लेखनी चले कलमकार की
Harminder Kaur
Loading...