Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Feb 2023 · 1 min read

“Har Raha mukmmal kaha Hoti Hai

“Har Raha mukmmal kaha Hoti Hai
Har kisi se mohabbat kaha hoti hai,

Dard ke raha to kai hai magar yaro
Mohabbat hi rusbai kaha ho to hai. ”

Deepak saral

1 Like · 83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समय सबों को बराबर मिला है ..हमारे हाथों में २४ घंटे रहते हैं
समय सबों को बराबर मिला है ..हमारे हाथों में २४ घंटे रहते हैं
DrLakshman Jha Parimal
खिचड़ी
खिचड़ी
Satish Srijan
डर डर के उड़ रहे पंछी
डर डर के उड़ रहे पंछी
डॉ. शिव लहरी
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
Buddha Prakash
इल्ज़ाम ना दे रहे हैं।
इल्ज़ाम ना दे रहे हैं।
Taj Mohammad
"आग्रह"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
दुल्हन जब तुमको मैं, अपनी बनाऊंगा
दुल्हन जब तुमको मैं, अपनी बनाऊंगा
gurudeenverma198
फितरत वो दोस्ती की कहाँ
फितरत वो दोस्ती की कहाँ
Rashmi Sanjay
डा० अरुण कुमार शास्त्री
डा० अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्यार की स्टेजे (प्रक्रिया)
प्यार की स्टेजे (प्रक्रिया)
Ram Krishan Rastogi
कहाँ से लाऊँ वो उम्र गुजरी हुई
कहाँ से लाऊँ वो उम्र गुजरी हुई
डॉ. दीपक मेवाती
ज़िंदगी एक बार मिलती है
ज़िंदगी एक बार मिलती है
Dr fauzia Naseem shad
दीवारों में दीवारे न देख
दीवारों में दीवारे न देख
Dr. Sunita Singh
मीठा खाय जग मुआ,
मीठा खाय जग मुआ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
पिता बनाम बाप
पिता बनाम बाप
Sandeep Pande
अपने आप को ही सदा श्रेष्ठ व कर्मठ ना समझें , आपकी श्रेष्ठता
अपने आप को ही सदा श्रेष्ठ व कर्मठ ना समझें , आपकी श्रेष्ठता
Seema Verma
चमन का सिपाही
चमन का सिपाही
Chunnu Lal Gupta
राह
राह
Dr. Rajiv
💐प्रेम कौतुक-178💐
💐प्रेम कौतुक-178💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
टूटा हूँ इतना कि जुड़ने का मन नही करता,
Vishal babu (vishu)
सच की ताक़त
सच की ताक़त
Shekhar Chandra Mitra
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
लटक गयी डालियां
लटक गयी डालियां
ashok babu mahour
मुक्तक
मुक्तक
anupma vaani
मोहि मन भावै, स्नेह की बोली,
मोहि मन भावै, स्नेह की बोली,
राकेश चौरसिया
जब चांद चमक रहा था मेरे घर के सामने
जब चांद चमक रहा था मेरे घर के सामने
shabina. Naaz
When compactibility ends, fight beginns
When compactibility ends, fight beginns
Sakshi Tripathi
दादा की मूँछ
दादा की मूँछ
Dr Nisha nandini Bhartiya
किस्मत का वह धनी सिर्फ है,जिसको टिकट मिला है (हास्य मुक्तक )
किस्मत का वह धनी सिर्फ है,जिसको टिकट मिला है (हास्य मुक्तक )
Ravi Prakash
ना दे खलल अब मेरी जिंदगी में
ना दे खलल अब मेरी जिंदगी में
श्याम सिंह बिष्ट
Loading...