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7 Aug 2022 · 1 min read

सामंत वादियों ने बिछा रखा जाल है।

सामंत वादियों ने बिछा रखा जाल है।
महंगाई से गरीब का जीना मुहाल है।

जो जान दे रहे हैं सीमा पर रात दिन।
उनकी वतन परस्ती पर कैसा सवाल है।

कैसे सहेंगे जुल्म सितम अपने मुल्क में।
क्यों जात-पात धर्म पे खूनी उबाल है।

इस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता।
नाकाम हमेशा हुई दुश्मन की चाल है।

इस मुल्क की मिट्टी से बहुत प्यार है सगीर।
हमको जो लड़ाए वो सियासी दलाल है।

Language: Hindi
1 Like · 113 Views
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