Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2023 · 1 min read

Gazal

सपने हमने आंखों में और पुख्ता इरादा रखा है।
अपने टूटे ख्वाबों को आंखों में जिंदा रखा है।

इश्क किया तो इश्क किया नफरत की तो शिद्दत से।
मेरा जो किरदार है उसका असली चेहरा रखा है।

मेरी क़लम खरीद सकेगा ऐसा तो ज़रदार नहीं।
हमने खुद को सोच समझकर सबसे महंगा रखा है।

मुझको मिलने एक दिन साकी मेरे दर पर आएगा।
मैंने इस उम्मीद में खुद को आज तक प्यासा रखा है ।

मुझको सुकूं में देखने वाले मेरी उलझन क्या जाने?
बाहर से खुद सुलझा है पर अंदर बिखरा रखा है।

तीखी बातें, मीठा लहजा सबको ही भरमायेगा।
मेरी तीखी बातें भी है लहजा तीखा रखा है।

पांव के नीचे से दुनिया ने मेरी ज़मी को छीनी है।
अपनी जि़द है दुनिया से भी खुद को मनवा रखा है।

मंजिल तक जाने की ज़िद है, छांव सगी़र कहां ढूंढे?
हमने सूरज का ही सर पर अपने साया रखा है।

डॉक्टर सगी़र अहमद सिद्दीकी़ खै़रा बाजार बहराइच

Language: Hindi
66 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बवंडरों में उलझ कर डूबना है मुझे, तू समंदर उम्मीदों का हमारा ना बन।
बवंडरों में उलझ कर डूबना है मुझे, तू समंदर उम्मीदों का हमारा ना बन।
Manisha Manjari
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मां भारती से कल्याण
मां भारती से कल्याण
Sandeep Pande
सबनम की तरहा दिल पे तेरे छा ही जाऊंगा
सबनम की तरहा दिल पे तेरे छा ही जाऊंगा
Anand Sharma
शिक्षित बेटियां मजबूत समाज
शिक्षित बेटियां मजबूत समाज
श्याम सिंह बिष्ट
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
Ranjeet kumar patre
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
कवि रमेशराज
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ऐश ट्रे   ...
ऐश ट्रे ...
sushil sarna
*सीखा सब आकर यहीं, थोड़ा-थोड़ा ज्ञान (कुंडलिया)*
*सीखा सब आकर यहीं, थोड़ा-थोड़ा ज्ञान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
ruby kumari
***
*** " मनचला राही...और ओ...! " *** ‌ ‌‌‌‌
VEDANTA PATEL
पहाड़ पर कविता
पहाड़ पर कविता
Brijpal Singh
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
Basant Bhagawan Roy
सांवली हो इसलिए सुंदर हो
सांवली हो इसलिए सुंदर हो
Aman Kumar Holy
पानी
पानी
Er. Sanjay Shrivastava
चंद एहसासात
चंद एहसासात
Shyam Sundar Subramanian
प्रकाश परब
प्रकाश परब
Acharya Rama Nand Mandal
जन्म गाथा
जन्म गाथा
विजय कुमार अग्रवाल
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हम शायर लोग कहां इज़हार ए मोहब्बत किया करते हैं।
हम शायर लोग कहां इज़हार ए मोहब्बत किया करते हैं।
Faiza Tasleem
हे महादेव
हे महादेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पूर्वार्थ
इससे ज़्यादा
इससे ज़्यादा
Dr fauzia Naseem shad
क्या अजीब बात है
क्या अजीब बात है
Atul "Krishn"
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
😢हे माँ माताजी😢
😢हे माँ माताजी😢
*Author प्रणय प्रभात*
कलियुग
कलियुग
Bodhisatva kastooriya
लाल बचा लो इसे जरा👏
लाल बचा लो इसे जरा👏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...