yogesh dhyani "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid yogesh dhyani 18 Jan 2017 · 1 min read बेटियां गहरे दरिया से लेकर वो ऊंचे अम्बर चूम रहीं हो सहरा की गर्म रेत या जंगल पर्वत घूम रहीं उनने अपनी हिम्मत से ही लांघी कठिन दिवारे हैं सदी पे... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 729 Share