sudha thakur "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid sudha thakur 24 Jan 2017 · 2 min read बेटी के अंतर्मन की व्यथा कल तक मैं एक अंश मात्र थी,पर आज साकार हूँ, आकर इस दुनिया में और देख के इसके रंग, मैं दुविधा में पड़ गयी हूँ और यह सोचने को मजबूर... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1 790 Share