विजय कुमार नामदेव "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid विजय कुमार नामदेव 12 Jan 2017 · 1 min read बेटी है तो घर, घर है गर घर में बेटी है बेटी है तो खेल हैं,खिलौने हैं मीठी-सी बोली है ढेर सारे सपने हैं हँसी है, ठिठोली है बेटी है तो गुड्डे हैं,... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2 8k Share