ALI AHAMAD "SANGAM" "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid ALI AHAMAD "SANGAM" 14 Jan 2017 · 1 min read हमारी बेटी हमारे मन को समझती है हमारी बेटी | कभी भी जिद नहीं करती है हमारी बेटी || मैं जब भी देखता सफ्कत भरी निगाहों से | मेरे गुनाहों को धो... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2k Share