बेटियाँ
प्रदीप कुमार दाश "दीपक" बेटियाँ ----------- बेटियाँ बाती स्वयं को वे जलातीं उजास लातीं महकातीं आँगन घर खुशियाँ लातीं नन्हीं कलियाँ चहकतीं पंछियाँ हँसतीं गातीं फूल बनीं बेटियाँ घर महका...
"बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017