डॉ. नितेश धवन "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. नितेश धवन 23 Jan 2017 · 1 min read मेरी बेटियाँ, मेरा जीवन ! वो तुतलाकर बोलना पापा पापा , घर जल्दी आना नटखट अदाओं से कांधो पर लटकना जो डांटा कभी तो , मुस्कुराकर मनाना , फरमाइशों की कतार, और माँ जैसा श्रृंगार... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1k Share