अरविन्द अवस्थी "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid अरविन्द अवस्थी 10 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटी बचाइये!बेटी बचाइये!! बेटी से सृष्टि चलती नव सभ्यता पनपती दो-दो कुलों में बनकर दीपक की लौ चमकती बेटी पराया धन है मन से निकालिए। बेटी बचाइए! बेटी से घर... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · गीत · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 977 Share