Posts "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 92 authors · 325 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read बचपन एक बचपन अपने अधनंगे बदन को मैले कुचैले कपड़ों मे समेटता, अपनी फटी बाँह से बहती नाक को पौछता, बचा खुचा खाकर भूखे पेट सर्द रातों में बुझी भट्टी की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 44 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मौन मौन एक मूक भाषा है ! मौन अंतरात्मा की अभिव्यक्ति है ! मौन निशब्द भावनाओं का व्यक्त मूक प्रतिवेदन है ! मौन हृदय से हृदय तक संवेदनाओं का स्पंदन है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 36 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मजदूर की अतंर्व्यथा मैं उस बेबस लाचार मजदूर को देखता हूं, जो रोज सुबह सवेरे चौराहे पर इकट्ठी दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ का हिस्सा बनता है, अपनी बारी आने का इंतज़ार करता है,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 41 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read व्यावहारिक सत्य कुछ समझ में नहीं आता क्या गलत है? क्या सही? सही को गलत सिद्ध किया जाता है, और गलत को सही, अब तो यही लगता है, शक्तिसंपन्न यदि गलती करे,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 91 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read दुविधा उस दिन एक युवा से बातचीत करने का अवसर मिला, वर्तमान परिपेक्ष्य पर चर्चा करने पर उसने कहा, आजीविका कमाने का उद्देश्य उसके लिए सर्वोपरि है, अन्य ज्ञान की बातें,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 54 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read नियति एक नन्ही सी कली , लंबे अरसे बाद मिली , अब तो वह एक सुंदर फूल बन खिली , हंसती सबको हंसाती , खुशियों के प्रपात बिखराती , सबसे हिली... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 69 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read आत्मज्ञान कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक ना जान पाए, खुद के अंदर झांककर , अभी तक पहचान ना पाए, इधर उधर ढूंढते रहे , कहां... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 43 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read विडंबना सत्य को स्थापित करना क्यों संघर्षपूर्ण होता है ? मानवीय संवेदनाओं के यथार्थ को समझाना क्यों मुश्किल होता है ? तर्कहीन विषयवस्तु को कुतर्क के सहारे बहुमत से प्रतिपादित करना... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 32 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read संकल्प प्रखर ज्योति की सुन्दर ज्वाला क्यों धधकी बनकर दावानल ? स्वेद से सींचा जिस महीतल को क्यों स्निग्ध है रक्त कणों से ? प्रेम से अंकुरित किया जिस उपवन को... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 52 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read धारा कोमल सा मन लिए , हर किसी को अपने में समाहित किए , अनवरत उसकी बढ़ते रहने की प्रकृति सतत , कभी तोड़ती दंभ इन चट्टानों का विकराल , कभी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 49 Share उमा झा 22 Apr 2024 · 11 min read विचित्र समय समय पर एक अफवाह उड़ाए जाते हैं और लोगों को मूर्ख बनाए जा रहे हैं ।कौन ऐसा रोग फिर आया है जो एक-दूसरे के सटने मात्र से हो जाता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 2 50 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read नारी मनीषियों , संतो , शूरवीरों की जगत जननी , ममता से सहेजती संस्कारों से सँवारती त्याग की प्रतिमूर्ति , जीवन पथ पर बनी प्रेरणा स्रोत वह जीवनसंगिनी , सहनशीलता की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 57 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read प्रेरणा चँंद्र किरण प्रकाश में करो ना प्रयत्न खोजने भाग्य रेखाए्ँ ! जागो नवप्रभात यथार्थ रवि आगम प्रकाश पुन्जौं में खोजो नई दिशाएंँ ! भंग करो तँद्रा तिमिर को नष्ट करो... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 33 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read मानवता मन के सुंदर उपवन में खिलती और प्रेम से सिंचित होती , अभिलाषाओं और आकांक्षाओं से परे उपजती , कभी ना बँधती जाति धर्म के बंधन में जो , रखती... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 51 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read अस्तित्व पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है और शीशे पर पत्थर पड़ते ही शीशा चूर-चूर बिखरता है , हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता है और... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 35 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read दिवास्वप्न हम में हर कोई एक सपना लिए यथार्थ की त्रासदी भोग रहा है , किंचित उस स्वप्न टूटने की आशंका मात्र से सिहर उठता है , वह उसे अपने मानस... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 36 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read अंतहीन प्रश्न जीवन एक अंतहीन प्रश्न की भांति आकांक्षा और अभिलाषा को समेटे हुए , आशाओं और निराशाओं के पलों को समाहित किए हुए , व्यथाओं और कुंठाओं से युक्त क्षणों को... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 34 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read जागृति दुनिया देखने वाले क्या तुमने कभी खुद के अंदर झांक कर देखा है ? अपने अंदर धधकती दावानल सी क्रोध , द्वेष , क्लेश की अग्नि को कभी पहचाना है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 67 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read वास्तविकता संस्कार आदर्श नीति चरित्र सब बातें भूख के सामने थोथी लगती है , क्योंकि भूखे पेट के सामने केवल दो रोटी जुटाने का लक्ष्य ही सर्वोपरि होता है , जिस... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 39 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read ईश्वर एक बार मुझसे यह प्रश्न किया गया कि क्या तुमने ईश्वर को देखा है ? मैंने कहा हाँ, मैंने उन्हें मासूम बच्चों की मुस्कुराहटों में देखा है , तपती धूप... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 52 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 2 min read युगपुरुष उसको देखा है मैंने रात के अंधेरे में टिमटिमाते दीये की रोशनी की तरह , उसको देखा है मैंने किसी खत्म न होती कहानी की तरह , उसको देखा है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 30 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read मुस्कुराहटें अपने आप में कुछ मर्म को समेटे हुये, या अपनी मूक सहमति प्रकट करते हुए, या कुछ निर्विकार निरापद सा भाव लिए हुए, या कुछ प्रसन्नता का भाव प्रदर्शित करते... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 44 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read किंकर्तव्यविमूढ़ एक दिन मैंने ज़िंदगी से पूछा तुम इतनी निष्ठुर क्यों हो ? ज़िंदगी बोली यह मेरा कसूर नहीं है मैं तो हालातों के हाथों मजबूर हूं, मैंने हालातो से कहा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 48 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read बाज़ीगर मौत से खेलते बाज़ीगरो को आपने देखा होगा, कभी सर्कस में ,कभी सड़क पर मजमा लगाते, कभी मौत के कुएँ में मोटरसाइकिल चलाते देखा होगा, ये वो जाँबाज़ है जो... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 44 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read माँ माँँ वह छांव है जिसके तले हम पले बड़े है, वह सुखद अनुभूति है जिसे हम बचपन से अब तक संजोये रहे है, वह एक प्रेरणा स्त्रोत है जो हमारे... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 45 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read पत्थर की अभिलाषा राह पर पड़े पत्थर ने सोचा इक दिन यह भी क्या जीवन है ? नित प्रतिदिन ठोकरें खाता फिरता हूं, दिशाहीन मैं इधर-उधर लुढ़कता टूटता बिखरता रहता हूं, हेय दृष्टि... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 31 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read अश्रु की भाषा अश्रु की अपनी भाषा होती है। कभी कष्ट के , तो कभी प्रसन्नता के , कभी आघात के , तो कभी पश्चाताप के , कभी मिलन के , तो कभी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 33 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read पुष्प की व्यथा पुष्प हूँ काँटो में रहना पड़ता है, टूट कर मिट्टी में मिल जाना पड़ता है, मेरी सुगंध और सौंदर्य कुछ पल के हैं, मुरझाने पर मेरा स्थान धरती तल के... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 54 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read प्रतिभा घूरे में पड़े हुए ये हीरे हैं , जिन्हें कोई ना पहचान सका, कीचड़ में खिले हुए अप्रतिम पुष्प हैंं , जिन्हें अब तक कोई न जान सका , निर्धनता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 32 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read कर्णधार उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक मैंने देखी थी , जिंदगी में कुछ कर गुजरने की उमंग उसमें मैंने देखी थी , परिस्थिति का मारा वो बेचारा, सम्बलविहीन ,कटु... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 34 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read नारी अस्मिता मन उपवन की नन्ही कली, जो घर आंगन में पली-बढ़ी, फूल से चेहरे पर खिली उसकी मुस्कान, माता पिता, बंधु बांधव, मित्रों की जान, सदा निस्वार्थ सेवा, सहायता को तत्पर,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 38 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Apr 2024 · 1 min read नारी वेदना के स्वर कल मुंहअंधेरे सवेरे मुझे पड़ोस से नारी क्रंदन स्वर सुनाई दिया , यह किसी घरेलू हिंसा प्रताड़ित गृहणी की वेदना का स्वर था , या किसी पुत्र एवं पुत्रवधू द्वारा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 36 Share Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता} 22 Apr 2024 · 1 min read वेदना की संवेदना सुर विहीन कविता, तरंग रहित सरिता किस पथ पर हो गए अग्रसर हम I रक्त रंजित,कष्ट संचित वेदना दर्द चीत्कारे चीखे , लुप्त पर संवेदना II रूप नग्न, खुद ‘खुदी’... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 116 Share Ritu Asooja 22 Apr 2024 · 1 min read संवेदना ही सौन्दर्य है संवेदनाऐं ही मनुष्य जाति का वास्तविक सौन्दर्य है। संवेदनाऐं मन के कोमल भाव हैं। संवेदनाऐं मनुष्य मन का सौन्दर्य है संवेदनाओं से मनुष्य..मनुष्यता को प्राप्त करता है.. संवेदनाऐं ही मनुष्य... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 1 68 Share Ritu Asooja 22 Apr 2024 · 1 min read संवेदनाओं का भव्य संसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम संवेदनाओं का भव्य संसार। लंका का राजा रावण,सवंदेन विहीन पशुवत व्यवहार। कौशल्या,सुमित्रा ममतामयी दिव्य स्वरूप मंथरा भयी संवेदनविहीन,प्रभाव कैकयी बनी विवेकशून्य। संवेदनाओं का पतन, दिया श्रीराम को... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 1 127 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2024 · 1 min read भरे हृदय में पीर गहरी सी संवेदना, पाश लिए गंभीर। बाहर भीतर डोलकर,भरे हृदय में पीर।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 2 104 Share Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता} 22 Apr 2024 · 1 min read संवेदना का प्रवाह संवेदना शब्दों के जंजाल में,हर रूप-हर काल में ,समय के आगे नतमस्तक सम्वेदना। हर धड़कन में उसकी गूँज,रक्त सी धाराप्रवाह, ह्रदय के कोनों में बसी सम्वेदना। आँखों की भावना, ख़ुशी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 69 Share Deepesh Dwivedi 22 Apr 2024 · 1 min read बदनाम इस कदर हमको न चाहो हम बहुत बदनाम है कोई भी हम जैसा न हो हम बहुत बदनाम हैं मद भरे नयनों से प्रणय के निमंत्रण आ रहे हैं थरथराते... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 60 Share Dr MusafiR BaithA 22 Apr 2024 · 2 min read मां का अछोर आँचल मां की जननी नजरों में कभी वयस्क बुद्धि नहीं होता बेटा मां के प्यार में इतनी ठहरी बौनी रह जाती है बेटे की उम्र कि अपने साठसाला पुत्र को भी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 73 Share Shweta Soni 22 Apr 2024 · 1 min read कफ़न ग़रीबी का नक्शा अगर देखना है कफ़न एक कहानी है पढ़ लीजिएगा ग़रीबी भी रो दे ऐसी गरीबी के दर्शन भी इसमें कर लीजिएगा किसी के भी बस का न... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 2 76 Share Ritu Asooja 22 Apr 2024 · 1 min read संवेदना मर रही मर रही संवेदनाऐं.. वेदना चहूं ओर है.. भागने की होड़ है. आगे बढने की दौड़ में .. मानवता कुचल रही.. कंक्रीट का शोर है.. प्रकृति का दमन हो रहा.. प्राण... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 2 2 87 Share Shweta Soni 22 Apr 2024 · 1 min read संवेदना का कवि बहुत आवश्यक है , संवेदना का होना कवि होने के लिए, ,संवेदना विहीन कवि फूलों पर लिख सकता है फूलों पर बैठी हुई तितली पर नहीं लिख सकता, पानी पर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 4 91 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2024 · 1 min read करती गहरे वार खंजर सी संवेदना, करती गहरे वार। पगलाया इंसा भला, कैसे उतरे पार। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 3 116 Share Bodhisatva kastooriya 22 Apr 2024 · 1 min read प्रदूषन इस पृथ्वी के हम सब ऋणी है! इसकी दक्षिणा क्या कभी गिनी है? देती है शुद्ध वायु,जल,फल-फूल, सुगंधित सुरम्य वातावरण धनी है!! बदले मे हम दे रहे मात्र उसे प्रदूषण!... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 131 Share Namrata Sona 22 Apr 2024 · 1 min read संवेदना सुप्त हैं उनका कला प्रेम दुर्लभ है दर्द और वेदना विषय है दीवार पर टंगी तस्वीर इसका प्रमाण है सभी ने कहा इसमे दर्द है, प्राण है. किसी ने कहा हृदय स्पर्शी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दुर्लभ · निष्प्राण · वेदना 3 101 Share Neeraj Agarwal 21 Apr 2024 · 1 min read संवेदना शीर्षक - संवेदना ************** संवेदना ही तो हमारी एक सहयोग की राह होती हैं। अपने और पराए की दृष्टि अपनी कहती हैं। ह्रदय की व्यवस्था और संवेदना ही तो होती... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 89 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read मिल रही है तीरगी रोशनी से मिल रही है। रोशनी तीरगी से मिल रही है।। तुम्हें बाहों में लेकर सोचता हूँ। ज़िन्दगी, ज़िन्दगी से मिल रही है।। तुझको पाना तो इत्तेफाक नहीं ।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 1 75 Share उमा झा 21 Apr 2024 · 1 min read बाल श्रमिक फटे अधर, नयनाश्रु लिये कहा बालमन, सुन माँ धरणी, सुन पिता गगन । है क्या मेरा निर्छिन्न अपराध अपार, श्रमिक पांत खड़ा हूँ विवश लाचार। हुई ईश्वर की ऐश्वर्यशक्ति आज... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 3 66 Share उमा झा 21 Apr 2024 · 1 min read शिशु – – – शिशु – – – हे जग के पालनहार जन्म देकर तू क्या किया, स्नेह सुधा गंग धार, बिन बताए मुझसे छीन लिया, मिलना था, माँ का आंचर नंगी धरती पर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 67 Share Rekha Drolia 21 Apr 2024 · 1 min read संवेदना -जीवन का क्रम जीवन का क्रम आना जाना तू पल पल छिन छिन जी ले उम्मीदों की लौ बुझ रही आस का दीपक सा बर ले इंसानियत की ज्योत जला जगती के हर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 4 83 Share Previous Page 6 Next