संजीवनी गुप्ता "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid संजीवनी गुप्ता 5 May 2024 · 1 min read फकीरा मन बन फकीरा घूमे मन इधर - उधर, पीर पराई सबकी मांगे ये उधार, रोक ना इसे, इसमें कर सुधार। संवेदनशील हृदय पी हलाहल कहलाये शिवाय, तन बने शिवालय, मन देवालय।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 81 Share संजीवनी गुप्ता 2 May 2024 · 1 min read संवेदना भावनाओं का अंबार है मानव, राग, द्वेष, हिंसा का गुबार है मानव। खंगाले जरा खुद के भीतर तो, संवेदनाओं का विस्तार है मानव। भरते हुए विभिन्न प्रकार की भावनाएं, उकेरा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 75 Share